जीवदानी यात्रा: मस्ती और भक्ति का संगम
एकदम फ्री हो गया हूं, भाई!" मैंने अपने छोटे भाई को चिल्लाते हुए कहा। मेरे एग्ज़ाम्स खतम हो चुके थे, और अब मन कर रहा था कहीं घूमने का। तभी मेरे दिमाग में आया— जीवदानी देवी का मंदिर! सुबह 9 बजे का टाइम फिक्स हुआ। मैं और मेरा भाई पूरी तैयारी के साथ घर से निकले। सादगी भरे कपड़े, चप्पलें और जेब में कुछ चिल्लर। भाई ने कहा, "चल भैया, आज मंदिर की सीढ़ियां भी गिनेंगे।" मैंने हंसते हुए कहा, "अरे पगले, 1500 सीढ़ियां चढ़ने में तेरे पैर जवाब दे देंगे, और तू गिनने की बात कर रहा है।" सफर शुरू हुआ: मस्ती भरा रास्ता हम दोनों पैदल ही निकल पड़े। रास्ते में मस्ती करते-करते ना जाने कितनी बातें हुईं। पुराने किस्से, दोस्तों की खिचाई, और एग्जाम की यादें। कभी-कभी लगता था कि पैर दर्द कर रहे हैं, लेकिन भाई का जोश देखकर मैं भी हिम्मत नहीं हारा। जब सीढ़ियां चढ़नी शुरू कीं, तब असली चैलेंज शुरू हुआ। पहला सेट आराम से चढ़ा। फिर भाई ने कहा, "भैया, रेस लगाते हैं!" और क्या, हमने रेस लगा दी। हांफते हुए, मस्ती करते-करते, कब 1500 सीढ़ियां पार हो गईं, पता ही नहीं चला। देवी के दर्शन:...
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